१२ नवम्बर वो दिन जब महात्मा गाँधी जी ने सार्नाथियों को संबोधित किया था इसी मौके पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया। या यूं कहें की सरकारी मीडिया और प्राइवेट मीडिया की कार्यशैली पर सवाल खड़ा किए गए। यानि हर तरह से प्राइवेट मीडिया की आलोचना । लेकिन आज के परिभाषा के अननुसार देखे तो न्यूज़ क्या है .ख़बर वह है जो असमान्य हो । लेकिन आज जो कुछ हो रहा है वह सभी सामान्य है तो मीडिया उसे क्यों कवर करे
आज पुरा समाज संवेदनहीन हो गया है । और जाहिर है मीडियाकर्मी उससे अलग नही । आख़िर हमारी जिम्मेदारी किसके प्रति ?समाज के प्रति या फिर समय के ?
1 comment:
samay bahut balwan hota hai.aakhir aajtak kaun bhag saka hai samay se.
karna padta hai bandhu.
ALOK SINGH "SAHIL"
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