कलम की ताकत ऐसी ताकत है जो समाज में बिना एक बूँद खून बहाए समाज में क्रांति ला सकती है. लेकिन इसका असर सामने तब आता है जब यह बने 'जनता की आवाज़' यानी "आप की आवाज़ ".
Wednesday, November 14, 2018
साहेब हम भूले नहीं हैं…
Saturday, March 5, 2016
जेनयू के शोर शराबे में दब गई हरियाणा में घटित महिलाओ के जघन्य घटना!
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय परिसर में हुये कथित देशविरोधी कार्यक्रम और उससे उपजे विवाद की लपटों में "बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ" कार्यक्रम की शुरुआत करने वाला हरियाणा में जाट आंदोलन के दौरान हुयी हिंसा, हत्या, लूटपाट और महिलाओ के साथ अमानवीय, बलात्कार की घटना की खबर दब गई या फिर जानबूझकर दबा दी गई।
आखिर इसकी वजह क्या है? हरियाणा की घटना को लेकर न तो आरएसएस की देशभक्ति या फिर राष्ट्रवाद की भावना को ठेस पहुची और न ही देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने इस सम्बन्ध में एक बयान देना भी उचित नहीं समझा उलटे उनके राज्य की पुलिस लगातार इस बात से इंकार करती रही कि मुरथल में इस प्रकार की घटना भी हुई जबकि तत्कालीन परिस्थितियाँ चीख चीख कर इस बात की गवाही दे रही थी इस प्रकार के घटना को अंजाम दिया गया था।
क्या यह माना जाय कि इसके पीछे आरएसएस या फिर मनोहर लाल खट्टर की स्त्री विरोधी सोच है या फिर इस घटना की सारी परते खुलने के बाद बीजेपी को देश में राजनितिक तौर पर नुकसान उठाना पड़ सकता था? क्या इस मामले की सच्चाई सामने आने के बाद जाहिर सी बात है जाट समुदाय के लोग फसते और मनोहर लाल खट्टर को उस जाट वोट बैंक को खोने का डर था जिसके उपर सवार होकर सत्ता की शिखर तक पहुचे थे? क्या इस मामले के खुलने के बाद बीजेपी को इस बात का डर था कि आगामी चुनावों में उसे सियासी तौर पर नुकसान हो सकता है?
सबसे दिलचस्प और आश्चर्य की बात रही जहाँ भारत में विपक्षी पार्टियां इस प्रकार के घटना होने की बाँट जोहती रहती है लेकिन इस घटना के घटित होने के बाद भी कांग्रेस और उसके नेता चुप्पी का टेप मुँह पर चिपकाये रहे। क्या कांग्रेस भी कही न कही इस घटना प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इस घटना में शामिल रही है?
शायद यही वजह रही कि बीजेपी के निचले पायदान के नेता से लेकर शीर्ष तक सभी ने चुप्पी साधे रखी और जेनयू घटना को लेकर सुलगती आग में फूक मरते रहे।
जो भी हो लेकिन आरोपियों को न्याय के कटघरे में लाना सरकार की नैतिक जिम्मेदारी और कर्तव्य भी है।
Saturday, February 20, 2016
राष्ट्रवाद का मतलब है बड़े बड़े झंडे फहराना और दक्षिणपंथी विचारधारा की सोच के करीब महापुरषों की मुर्तिया बनवाना।
अगर इंसान के आयु के एवज में देखा जाय तो हिंदुस्तान बूढ़ा होने के करीब आया लेकिन आज लोगों को बुनियादी सुविधायें मसलन खाना, पानी, रोजगार, बिजली,सड़क, स्वास्थ्य और शिक्षा नहीं मिल पाई है।
कांग्रेस के दस साल के शासन और उसमे हुये घोटाले से जनता त्रस्त हो चुकी थी। लोकसभा चुनाव के पहले यह उम्मीद थी कि बनने वाली आगामी सरकार लोगों को इन सभी समस्याओं से छुटकारा दिलायेगी। इस बीच नरेंद्र मोदी गुजरात में लगातार तीन बार विधानसभा चुनाव जीतकर राष्ट्रीय स्तर पर एक अलग पहचान बना ली थी। उनकी पहचान एक विकास पुरुष और नीतियों के आधार पर कड़क फैसला लेने वाले की बन गई थी।
आरएसएस की राजनितिक इकाई बीजेपी ने भाजपा के तमाम बड़े और कद्दावर नेता मसलन लालकृष्ण अडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, राजनाथ और अरुण जेटली जैसे राष्ट्रीय नेताओ को दरकिनार कर नरेंद्र मोदी को अपना प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनाया और उसी के बाद से देश की राजनीती विकास के बदले विचारधारा की लड़ाई में तब्दील ही गई।
लोकसभा चुनाव के ठीक पहले यह मुद्दा उठा कि अगर नेहरू की जगह सरदार बल्लभ भाई पटेल अगर देश के प्रधानमंत्री होते तो कश्मीर समस्या नहीं होती मतलब साफ है कि चुनाव को नेहरू बनाम पटेल बनाने की कोशिश की गई उसी की फलस्वरूप बीजेपी और मोदी जी ने तय किया कि अगर बीजेपी की सरकार बनती है तो अहमदबाद में लौह पुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल की मूर्ति बनाई जायेगी जिसमे हज़ारो करोड़ो रूपये लग रहे है।
लेकिन चुनाव के करीब दो साल बाद भी हालात बदले नहीं है। हाल ही में जवाहर लाल नेहरू विश्विद्यालय का ही मामला ले लीजिये। विश्वविद्यालय को आतंक का गढ़ बताया जा रहा है और एक खास विचारधारा को कुचलने की कोशिश की जा रही है। जेनयू के छात्रों को देखिये खाकी कुर्ता, पैरों में हवाई चप्पल और एक झोला। यहाँ से पास हुआ छात्र समाज को बदलने के लिये काम करता है जब कि दूसरे विश्वविद्यालयों से पास छात्र और छात्रायें (सभी नहीं) पैसा बनाने के लिये काम करते हैं।
जेनयू अपने आप में एक सोच है, विचारधारा है किसी भी मुद्दे के सभी पहलुओं पर बात करना देशद्रोह कैसे हो सकता है। पूँजीवादी, सामन्तवादी और फाँसीवादी विचारधारा को उखाड़ने की सोच आतंकवादी सोच का पर्याय कैसे हो सकता है। जेनयू में जो कुछ हुआ वह चिंता का विषय है।
और दूसरे भारत सरकार में शिक्षा मंत्री ने सभी विश्वविद्यालाओं को आदेश दिया कि वह अपने कैंपस में तिरंगा फहराये। वह सब तो ठीक है लेकिन क्या महज तिरंगा फहराने से काम चल जायेगा। तिरंगा फहराने और उसके सम्मान का भाव लोगो में कैसे आयेगा और अगर छात्र और छत्राओं के अंदर देशभक्ति की भावना भरनी है तो देश की सभी स्कूलों, कॉलेज और हर शिक्षण संसथान में होना चाहिये।
एक चैनल पर देखा कि जेनयू मुद्दे पर प्रदर्शन कर रहे एक वकील से सवाल किया गया तो उसने कहा "पहले वन्देमातरम का नारा लगाओ, भारत माता की जय बोलो"। उन जनाब को यह भी नहीं पता इस देश में रहने वाला हर नागरिक अपने देश को चूमता है उसे किसी के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है।
Saturday, October 17, 2015
क्या बकलोली करने में मोदी जी लालू यादव से हार गये?
एक खबर आ रही है बिहार में पहले चरण के मतदान में उपेक्षित परिणाम नहीं आने की सम्बावना के चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी अपना बोरिया बिस्तर समेटना शुरू कर दिया गया है।
मोदी जी की कई रैलियां रद्द कर दी गई। पोस्टर और होर्डिंग्स पर से उनकी और अमित शाह की तस्वीर हटा कर स्थानीय नेताओ की फ़ोटो लगा दी गई।
क्या प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी जी का जादू नहीं चल पा रहा है फिर लालू प्रसाद यादव से बकलोली करने में हार गये।इधर कुछ दिनों से मोदी जी और लालू जी में जुबानी जंग तेज हो गई थी। लगता है मोदी जी लालू को अरविन्द केजरीवाल समझने की भूल कर बैठे थे कि केजरीवाल की तरह लालू कुछ नहीं बोलेगें लेकिन इस मामले में लालू मोदी के उस्ताद निकले।
कुछ वाकया- मोदी जी ने इशारों में लालू को शैतान कहा तो लालू ने मोदी जी को ब्रह्मपिशाच कह दिया। लालू जी एक कदम बढ़ाते हुये बधिया करने की बात कही तो इसके जवाब में गिरिराज सिंह कहा अगर लालू जी समय रहते अपना बधिया करा लेते तो उनका परिवार इतना बड़ा नहीं होता।
यह हर चुनावो में होता रहा है। दिल्ली विधानसभा इसका अपवाद रहा क्योकि अरविन्द केजरीवाल इन सब मुद्दों को दरकिनार करके मुद्दों पर ही कायम रहे।
लेकिन यह कहना बहुत मुश्किल है की बिहार विधानसभा में ऊँट किस करवट बैठेगा।
Friday, August 21, 2015
Ex NSG Commando और दिल्ली कैंट से आम आदमी पार्टी के विधयाक सुरेन्द्र सिंह गिरफ्तार।
दिल्ली में आज आदमी पार्टी के लिहाज से बुरा दिन रहा। दो महत्वपूर्ण घटनायें घटी।
इस बात के कयास कई दिनों से लगाये जा रहे थे जीतेन्द्र तोमर के बाद आम आदमी पार्टी के अन्य विधायक किसी न किसी आरोप में गिरफ्तार किये जा सकते है।
कल शाम दिल्ली कैंट से आम आदमी पार्टी के विधायक और पूर्व NSG कमांडो सुरेन्द्र सिंह को NDMC के एक कर्मचारी के साथ मारपीट के आरोप और जाति सूचक शब्द इस्तेमाल करने पर गिरफ्तार कर लिया और आज सुबह अदालत में पेश किया जायेगा।
दूसरी बड़ी घटना एक आयोग बनाने को लेकर रही। पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित पर आरोप ऑटो में CNG किट लगाने को लेकर आरोप है जिसका खुलासा 2012 में हुआ था जिसमे LG नजीब जंग भी जाँच के घेरे में है।
कुछ दिन पहले ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने एक सदस्यीय जाँच आयोग का गठन किया था और भारत सरकार के गृहमंत्रालय ने यह कहकर रोक लगा दी कि जाँच आयोग का गठन सिर्फ LG कर सकते है।
अब सवाल यह उठता है भला जिसके ऊपर खुद घोटाले का आरोप लगा हो वह भला खुद के खिलाफ जाँच आयोग का गठन क्यों करेगा।
क्या इससे मोदी सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने की प्रतिबद्धता कमजोर नहीं होती है।
शाब्दिक त्रुटि के लिये मैं आप से अग्रिम माफ़ी मागता हूँ।
पढ़े और अपने कमेंट जरूर दे।
Tuesday, April 15, 2014
शादी का भांडा फोड़ने वाले पत्रकार दर्शन देसाई (तब इंडियन एक्सप्रेस में) ने 2002
क्या मोदी का यह बर्ताव विवाह को लेकर उनकी छुपमछुपाई का अपराधबोध प्रकट नहीं करता?
Sunday, April 13, 2014
दुनिया के इतिहास में कब इतने सारे पूंजीपतियों ने एक आदमी के अभियान में इतना पैसा लगाया
ये गरीबों से कहते हैं गरीबी हटा देंगे ! कैसे ? दुनिया के इतिहास में कब इतने सारे पूंजीपतियों ने एक आदमी के अभियान में इतना पैसा लगाया है गरीबी हटाने के लिए ? जो पैसा लगाता है वो वसूल करना भी जानता है | इसकी वसूली देश से होगी | गरीबी हटानी होती तो हटा चुके होते गजरात से जहां PDS और पब्लिक हेल्थ सिस्टम की व्यवस्था बदतर हुई है, शिशु मृत्यु दर और मातृ मृत्यु दर आर्थिक समृद्धि के बावजूद अधिक है, दलित और आदिवासी बच्चों की शिक्षा की स्थिति राष्ट्रीय औसत तक भी नहीं !
ये कहते हैं भ्रष्टाचार और वंशवाद हटायेंगे ! इन्होने चुन चुन कर देश भर के भ्रष्ट नेताओं को बटोरा है, परिवारवाद के आधार देशभर में तमाम उम्मीदवार दिए हैं, गुजरात में RTI आवदेन भरना UPSC (सिविल सर्विसेस) का exam पास करने से ज्यादा मुश्किल है ! – क्या वाकई मुकाबला करेंगे ये भ्रष्टाचार से, वंशवाद से?
बिहार पहला राज्य है जिसने भ्रष्टाचार के खिलाफ स्पेशल कोर्ट अधिनियम लागू किया, भ्रष्ट अधिकारियों की सम्पति ज़ब्त की, उसमें स्कूल खोले ! बिहार पहला राज्य है जहाँ टेलीफोन के माध्यम से RTI फ़ाईल करने का system बना, उस समय के RTI Activist श्री Arvind Kejriwal ने हमें दिया था सुझाव ! RTI सिस्टम के लिए बिहार को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है !
ये किसानों से कहते हैं समृद्धि देंगे – यदि गुजरात में किसान इतने समृद्ध हैं तो कपास की खेती में लाखों बाल मज़दूर क्यों काम कर रहे हैं ? बिहार में तो किसान विश्व रिकार्ड बना रहे हैं ! हमें मिला है राष्ट्रीय कृषि कर्मण पुरस्कार !
फिर भी आप नहीं फंसे तो कहेंगे 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' – जिनके मंत्री कहते हैं बिहारियों के चलते गुजरात में गरीबी बढ़ी है, जिनकी पूरी पार्टी बिहारियों को जलील करने वालों के आगे नतमस्तक हो, इनके नेता अनेक स्थानों पर जाकर प्रतिशोध की आग भड़का रहे हों यह कहकर कि बदला लेंगे, हर विवादित मुद्दे पर polarise कर रहे हों, ये बनायेंगे एक भारत? एकमात्र सांस्कृतिक एजेंडा हो राम मंदिर - ये बनायेंगे श्रेष्ठ भारत?
इस देश में बदलाव का shortcut नहीं है ! बदलाव तभी संभव है जब वोट पड़े ईमानदारी से काम करने वाले दल को, साफ़-सुथरे ढंग से चुनाव लड़ने वाले दल को, और प्रमाणित ideas पर विज़न देने वाले नेतृत्व को | जय बिहार, जय भारत !
इस पोस्ट के अंश बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतिश कुमार के फेसबुक वाल से लिया गया है।
Thursday, March 20, 2014
#Modi को कोसने, गरियाने वालों की जमात बनती जा रही है #BJP.
#SubmaniyamSwami - इनकी वजह से #NDA अटल जी सरकार एक वोट से गिर गयी थी।
#RamVilasPaswan- मोदी पर 2002 में दंगे के आरोंपों के NDA से अलग हो गये थे।
#RamkripalYadav- मोदी एक वायरस है।
#GagdambikaPal- जिंदगी भर विपक्ष में बैठ कर मोदी और भाजपा को गरियrते रहे।
#RajuSrivastav- 56 इंच सीना वाले बयान पर मोदी को दैत्य बताया।
ये दिखाता है भारतीय जनता पार्टी सत्ता पाने के लिये किसी हद तक जा सकते है। सत्ता के लालच में ये दल #BJP को कभी भी लात मार सकते है।