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Wednesday, November 14, 2018

साहेब हम भूले नहीं हैं…



आप थोड़ा सा पीछे जाइये और याद करिए वह दौर शेर हवाई जहाज और मोदी मोदी करती हुयी भीड़ और मोदी मोदी करती हुई भीड़ के बीच वह उत्साह से भरी आवाज।

मसलन सौगंध मुझे इस मिट्टी की मैं देश नहीं झुकने दूंगा मैं देश नहीं मिटने दूंगा।
आपने कोई है भाई जिसको दिल्ली सरकारी नौकरी दी हो.
यह काला धन वापस आना चाहिए.
कांग्रेस भ्रष्टाचार की पहचान बन गई है.
भारत को फिर से विश्वगुरु बनाना है.
यह जवान और किसान कांग्रेस के शासन में सुरक्षित हैं क्या.

अद्भुत चीज थी यह क्योंकि दागी राजनीतिक भ्रष्ट सिस्टम कांग्रेस युवा महिला किसान हर किसी की गुस्से को जुबान देने वाला एक नेता मिल गया था. वह नेता गांव शहर गली मोहल्ला कस्बा घूम घूम कर यही बता रहा था कि व्यवस्था चौपट हो चली है. तो जनादेश वाकई अद्भुत मिला. हर नेता की पोटली खाली कर दी थी उसने मायावती का दलित दौरा खत्म हो गया कांग्रेस का मुस्लिम तुष्टीकरण खत्म हो गया क्षेत्रीय पार्टियों की सियासत खत्म होने लगी जाति समीकरण धराशाई हो गए और जब संसद के चौखट को छुआ तो लगा लोकतंत्र के मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा हो गई. सब कुछ तो था हर सियासत नतमस्तक थी मौका ऐसा था कि वाकई देश को बचा जा सकता है नीतियों को नए सिरे से मत कर लागू किया जा सकता था बाजार को नए तरीके से खड़ा किया जा सकता था राष्ट्रीय पूजी को मौजूदा जरूरतों के हिसाब से खर्च किया जा सकता था गांव में स्वराज की अवधारणा लागू करने की दिशा में पढ़ा जा सकता था और प्रधानमंत्री बनने के बाद सेंट्रल हॉल में दिए गए पहले भाषण ने इस तरह की उम्मीदें को जगा दिया था.

फिर नीरव मोदी फरार हुआ साथ में मेहुल चौकसी भी फरार हुआयाद कीजिए सेंट्रल हॉल के पहले भाषण नरेंद्र मोदी के वाक्य "बेटा कभी भी मां पर कृपा नहीं कर सकता है वह समर्पित भाव से सिर्फ सेवा कर सकता है".

और वक्त के साथ नजारे बदलते गए मुंबई में नरेंद्र मोदी और देश के सबसे बड़े उद्योगपति मुकेश अंबानी के साथ तस्वीर ने कई सवालों को जन्म दिया. और उसके बाद देश को 9000 करोड रुपए का चूना लगा कर रही 11 ब्रीफकेस के साथ विजय माल्या दिन के उजाले में भाग और सियासत देखते रही. फिर नीरव मोदी फरार हुआ साथ में मेहुल चौकसी भी फरार हुआ. अब तक जानकारी के मुताबिक देश के 31 अरबपति देश को चुना लगाकर भाग चुके हैं. तो हर डायलॉग बेअसर से लगा. आखिर क्या कहा था मोदी जी ने लोकसभा चुनाव के समय भ्रष्टाचार के संबंध में “न खाऊंगा न खाने दूंगा भाई और बहनों मुझे प्रधानमंत्री नहीं मुझे चौकीदार बनाकर भेजिए मैं देश के खजाने पर कोई भी पंजा नहीं पड़ने दूंगा मुझे चौकीदार बना कर दीजिए”. तो क्या जोर शोर से जो बातें कही गई थी वह देश के नागरिकों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ था क्योंकि ऐसा कोई मुद्दा था ही नहीं जिसे 2014 में सत्ता पाने के लिए उठाया नहीं गया था और ऐसा कोई मुद्दा बचा ही नहीं जिस पर जो कहा गया उस पर कोई असर हुआ.

यह तथ्य उन तस्वीरों को लाते हैं जब यह लग रहा था कि देश में सब कुछ बदल रहा था लेकिन अब उन पर नजर डालिए जो मौजूदा दौर में हैं. मुसलमानों को भारतीय जनता पार्टी वोट बैंक नहीं मानती है लिहाजा उनके विकास या उनके पद से बीजेपी को कोई फर्क नहीं पड़ता है देश में दलितों के साथ क्या हुआ यह सब ने देखा हैदराबाद से लेकर गुजरात तक दलित उत्पीड़न की कहानियां सामने आई. विश्वविद्यालयों को हिंदुत्व और राष्ट्रवाद को प्रयोगशाला बना दिया गया हर साल करोड़ों युवाओं को रोजगार देने का वादा किया गया था लेकिन रोजगार देने की बात आई तो सलाह दी गई की पकौड़े या नौकरी के पीछे भागने की बजाय पान की दुकान लगाएं।

किसानों की स्थिति किसी से छुपी नहीं है पिछले 4 वर्ष में ही लगभग 50000 किसानों ने आत्महत्या कर लिया इन सब के बावजूद किसानों के उत्थान के लिए सरकार ने जोर-शोर से फसल बीमा योजना शुरू किया लेकिन वह बीमा योजना किसानों को कम उद्योगपति को ज्यादा फायदा पहुंचाने लगी. कृषि विशेषज्ञ पी. साईंनाथ कहा- मोदी सरकार की फसल बीमा योजना राफेल से बड़ा घोटाला है. महाराष्ट्र का उदाहरण देते हुए साईंनाथ ने कहा, "2.80 लाख किसानों ने सोयाबीन की खेती की. एक जिले में किसानों ने 19.2 करोड़ रुपये का भुगतान किया. राज्य सरकार और केंद्र सरकार ने 77-77 करोड़ रुपये का भुगतान किया. कुल राशि 173 करोड़ रुपये हुई जो रिलायंस बीमा को भुगतान किया गया". उन्होंने कहा, "पूरी फसल खराब हो गई और बीमा कंपनी ने दावों का भुगतान किया. रिलायंस ने एक जिले में 30 करोड़ रुपये का भुगतान किया और उसे शुद्ध लाभ 143 करोड़ रुपये हुआ, जबकि उसका निवेश एक भी रुपया नहीं था".

सड़क से किसानों की आवाज आई संसद से नेताओं की आवाज आई विश्वविद्यालयों से छात्रों की आवाज आए देश के हर चौराहे नुक्कड़ से युवाओं की आवाज आएगी और न्यायपालिका की चौखट से माननीय जजों की.

2014 से लेकर 2017 तक करीब 12700 बैंक फ्रॉड हो गए. जिससे गरीब देश को 17500 हजार करोड़ का चूना लगा. नोटबंदी के बाद पहले 4 महीने में करीब 1500000 लोगों की नौकरियां चली गई. नोटबंदी के बाद पहले 4 महीने में करीब 1500000 लोगों की नौकरियां चली गई लोगों बड़े शहरों से छोटे शहरों की तरफ से पलायन करने के मजबूर हो गए उनका रोजगार खत्म हो गया और उनके सामने रोजी रोटी कमाने और परिवार का पेट भरने की चुनौती पैदा हो गयी. रिजर्व बैंक ने कहा कि नोटबंदी के बाद 16000 करोड रूपया वापस आ गए लेकिन उससे 21000 करोड रुपए के नए नोट छापे पड़े क्योंकि नोटबंदी के बाद 99 परसेंट नोट ओं बैंक में वापस आ गए. इस बीच एक और जिसने जनता की कमर को तोड़ दिया था वह थी डीजल और पेट्रोल की बढ़ती हुई कीमतें चुनाव के पहले कहा गया था ना कि शक्ल में की बहुत तो हुआ पेट्रोल-डीजल के महंगाई की मार अबकी बार मोदी सरकार. और यह सब तब हुआ जब वह कच्चा तेल अपनी न्यूनतम स्तर पर था. 2014 के बाद से ही हर बरस सरकार दिल पर लगे हुए टैक्स से करीब साढ़े लाख करोड़ करोड रुपए कमाए. आखिर कहीं तो चूक हुई कुछ तो कमी आ रही यही वजह रही कि युवा नौकरी के लिए सड़कों पर उतर आए. इस पर रोक लेबर ऑर्गेनाइजेशन ने आंकड़े जारी किए कि पिच 14 2014 से लेकर 2017 तक का गरीबो 8:30 लाख नौकरियां दी गई यानी बेरोजगारी दर ३.४१ प्रतिशत से बढ़कर कर 6.23 % पर पहुंच गई. लेकिन रोजगार की दिशा में उचित कदम बढ़ाने के बजाय प्रधानमंत्री से लेकर पार्टी अध्यक्ष खामोश रहे. बाद में संसद में पार्टी अध्यक्ष ने कहा कि बेरोजगारी रहने से अच्छा है कि युवक को मजदूरी करके पेट पाले युवक पकौड़े बेचकर पेट पाले.

साढ़े चार बरस तक सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी रही विज्ञान भवन में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा. और इसके बाद से संघ विश्व हिंदू परिषद बीजेपी साधु संत समाज अचानक से जाग उठा और राम मंदिर बनाने के प्रति सरकार पर अध्यादेश लाने का दबाव डालने लगा.

सभी मुद्दों को लेकर क्या वास्तव में सरकार गंभीर है हमें यह सोच रहा होगा

Saturday, March 5, 2016

जेनयू के शोर शराबे में दब गई हरियाणा में घटित महिलाओ के जघन्य घटना!

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय परिसर में हुये कथित देशविरोधी कार्यक्रम और उससे उपजे विवाद की लपटों में "बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ" कार्यक्रम की शुरुआत करने वाला हरियाणा में जाट आंदोलन के दौरान हुयी हिंसा, हत्या, लूटपाट और महिलाओ के साथ अमानवीय, बलात्कार की घटना की खबर दब गई या फिर जानबूझकर दबा दी गई।

               आखिर इसकी वजह क्या है? हरियाणा की घटना को लेकर न तो आरएसएस की देशभक्ति या फिर राष्ट्रवाद की भावना को ठेस पहुची और न ही देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने इस सम्बन्ध में एक बयान देना भी उचित नहीं समझा उलटे उनके राज्य की पुलिस लगातार  इस बात से इंकार करती रही कि मुरथल में इस प्रकार की घटना भी हुई जबकि तत्कालीन परिस्थितियाँ चीख चीख कर इस बात की गवाही दे रही थी इस प्रकार के घटना को अंजाम दिया गया था।

                क्या यह माना जाय कि इसके पीछे आरएसएस या फिर मनोहर लाल खट्टर की स्त्री विरोधी सोच है या फिर इस घटना की सारी परते खुलने के बाद बीजेपी को देश में राजनितिक तौर पर नुकसान उठाना पड़ सकता था? क्या इस मामले की सच्चाई सामने आने के बाद जाहिर सी बात है जाट समुदाय के लोग फसते और मनोहर लाल खट्टर को उस जाट वोट बैंक को खोने का डर था जिसके उपर सवार होकर सत्ता की शिखर तक पहुचे थे? क्या इस मामले के खुलने के बाद बीजेपी को इस बात का डर था कि आगामी चुनावों में उसे सियासी तौर पर नुकसान हो सकता है?

               सबसे दिलचस्प और आश्चर्य की बात रही जहाँ भारत में विपक्षी पार्टियां इस प्रकार के घटना होने की बाँट जोहती रहती है लेकिन इस घटना के घटित होने के बाद भी कांग्रेस और उसके नेता चुप्पी का टेप मुँह पर चिपकाये रहे। क्या कांग्रेस भी कही न कही इस घटना प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इस घटना में शामिल रही है?

शायद यही वजह रही कि बीजेपी के निचले पायदान के नेता से लेकर शीर्ष तक सभी ने चुप्पी साधे रखी और जेनयू घटना को लेकर सुलगती आग में फूक मरते रहे।
जो भी हो लेकिन आरोपियों को न्याय के कटघरे में लाना सरकार की नैतिक जिम्मेदारी और कर्तव्य भी है। 

               

Saturday, February 20, 2016

राष्ट्रवाद का मतलब है बड़े बड़े झंडे फहराना और दक्षिणपंथी विचारधारा की सोच के करीब महापुरषों की मुर्तिया बनवाना।

अगर इंसान के आयु के एवज में देखा जाय तो हिंदुस्तान बूढ़ा होने के करीब आया लेकिन आज लोगों को बुनियादी सुविधायें मसलन खाना, पानी, रोजगार, बिजली,सड़क, स्वास्थ्य और शिक्षा नहीं मिल पाई है।

               कांग्रेस के दस साल के शासन और उसमे हुये घोटाले से जनता त्रस्त हो चुकी थी। लोकसभा चुनाव के पहले यह उम्मीद थी कि बनने वाली आगामी सरकार लोगों को इन सभी समस्याओं से छुटकारा दिलायेगी। इस बीच नरेंद्र मोदी गुजरात में लगातार तीन बार विधानसभा चुनाव जीतकर राष्ट्रीय स्तर पर एक अलग पहचान बना ली थी। उनकी पहचान एक विकास पुरुष और नीतियों के आधार पर कड़क फैसला लेने वाले की बन गई थी।

                आरएसएस की राजनितिक इकाई बीजेपी ने भाजपा के तमाम बड़े और कद्दावर नेता मसलन लालकृष्ण अडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, राजनाथ और अरुण जेटली जैसे राष्ट्रीय नेताओ को दरकिनार कर नरेंद्र मोदी को अपना प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनाया और उसी के बाद से देश की राजनीती विकास के बदले विचारधारा की लड़ाई में तब्दील ही गई।

                लोकसभा चुनाव के ठीक पहले यह मुद्दा उठा कि अगर नेहरू की जगह सरदार बल्लभ भाई पटेल अगर देश के प्रधानमंत्री होते तो कश्मीर समस्या नहीं होती मतलब साफ है कि चुनाव को नेहरू बनाम पटेल बनाने की कोशिश की गई उसी की फलस्वरूप बीजेपी और मोदी जी ने तय किया कि अगर बीजेपी की सरकार बनती है तो अहमदबाद में लौह पुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल की मूर्ति बनाई जायेगी जिसमे हज़ारो करोड़ो रूपये लग रहे है।

                 लेकिन चुनाव के करीब दो साल बाद भी हालात बदले नहीं है। हाल ही में जवाहर लाल नेहरू विश्विद्यालय का ही मामला ले लीजिये। विश्वविद्यालय को आतंक का गढ़ बताया जा रहा है और एक खास विचारधारा को कुचलने की कोशिश की जा रही है। जेनयू के छात्रों को देखिये खाकी कुर्ता, पैरों में हवाई चप्पल और एक झोला। यहाँ से पास हुआ छात्र समाज को बदलने के लिये काम करता है जब कि दूसरे विश्वविद्यालयों से पास छात्र और छात्रायें (सभी नहीं) पैसा बनाने के लिये काम करते हैं।

               जेनयू अपने आप में एक सोच है, विचारधारा है किसी भी मुद्दे के सभी पहलुओं पर बात करना देशद्रोह कैसे हो सकता है। पूँजीवादी, सामन्तवादी और फाँसीवादी विचारधारा को उखाड़ने की सोच आतंकवादी सोच का पर्याय कैसे हो सकता है। जेनयू में जो कुछ हुआ वह चिंता का विषय है।

               और दूसरे भारत सरकार में शिक्षा मंत्री ने सभी विश्वविद्यालाओं को आदेश दिया कि वह अपने कैंपस में तिरंगा फहराये। वह सब तो ठीक है लेकिन क्या महज तिरंगा फहराने से काम चल जायेगा। तिरंगा फहराने और उसके सम्मान का भाव लोगो में कैसे आयेगा और अगर छात्र और छत्राओं के अंदर देशभक्ति की भावना भरनी है तो देश की सभी स्कूलों, कॉलेज और हर शिक्षण संसथान में होना चाहिये।

                 एक चैनल पर देखा कि जेनयू मुद्दे पर प्रदर्शन कर रहे एक वकील से सवाल किया गया तो उसने कहा "पहले वन्देमातरम का नारा लगाओ, भारत माता की जय बोलो"। उन जनाब को यह भी नहीं पता इस देश में रहने वाला हर नागरिक अपने देश को चूमता है उसे किसी के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है।

Saturday, October 17, 2015

क्या बकलोली करने में मोदी जी लालू यादव से हार गये?

एक खबर आ रही है बिहार में पहले चरण के मतदान में  उपेक्षित परिणाम नहीं आने की सम्बावना के चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी अपना बोरिया बिस्तर समेटना शुरू कर दिया गया है।

मोदी जी की कई रैलियां रद्द कर दी गई। पोस्टर और होर्डिंग्स पर से उनकी और अमित शाह की तस्वीर हटा कर स्थानीय नेताओ की फ़ोटो लगा दी गई।

क्या प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी जी का जादू नहीं चल पा रहा है फिर लालू प्रसाद यादव से बकलोली करने में हार गये।इधर कुछ दिनों से मोदी जी और लालू जी में जुबानी जंग तेज हो गई थी। लगता है मोदी जी लालू को अरविन्द केजरीवाल समझने की भूल कर बैठे थे कि केजरीवाल की तरह लालू कुछ नहीं बोलेगें लेकिन इस मामले में लालू मोदी के उस्ताद निकले।

कुछ वाकया- मोदी जी ने इशारों में लालू को शैतान कहा तो लालू ने मोदी जी को ब्रह्मपिशाच कह दिया। लालू जी एक कदम बढ़ाते हुये बधिया करने की बात कही तो इसके जवाब में गिरिराज सिंह कहा अगर लालू जी समय रहते अपना बधिया करा लेते तो उनका परिवार इतना बड़ा नहीं होता।

यह हर चुनावो में होता रहा है। दिल्ली विधानसभा इसका अपवाद रहा क्योकि अरविन्द केजरीवाल इन सब मुद्दों को दरकिनार करके मुद्दों पर ही कायम रहे।

लेकिन यह कहना बहुत मुश्किल है की बिहार विधानसभा में ऊँट किस करवट बैठेगा। 

Friday, August 21, 2015

Ex NSG Commando और दिल्ली कैंट से आम आदमी पार्टी के विधयाक सुरेन्द्र सिंह गिरफ्तार।

दिल्ली में आज आदमी पार्टी के लिहाज से बुरा दिन रहा। दो महत्वपूर्ण घटनायें घटी।

इस बात के कयास कई दिनों से लगाये जा रहे थे जीतेन्द्र तोमर के बाद आम आदमी पार्टी के अन्य विधायक किसी न किसी आरोप में गिरफ्तार किये जा सकते है।

कल शाम दिल्ली कैंट से आम आदमी पार्टी के विधायक और पूर्व NSG कमांडो सुरेन्द्र सिंह को NDMC के एक कर्मचारी के साथ मारपीट के आरोप और जाति सूचक शब्द इस्तेमाल करने पर गिरफ्तार कर लिया और आज सुबह अदालत में पेश किया जायेगा।

दूसरी बड़ी घटना एक आयोग बनाने को लेकर रही। पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित पर आरोप ऑटो में CNG किट लगाने को लेकर आरोप है जिसका खुलासा 2012 में हुआ था जिसमे LG नजीब जंग भी जाँच के घेरे में है।

कुछ दिन पहले ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने  एक सदस्यीय जाँच आयोग का गठन किया था और भारत सरकार के गृहमंत्रालय ने यह कहकर रोक लगा दी कि जाँच आयोग का गठन सिर्फ LG कर सकते है।

अब सवाल यह उठता है भला जिसके ऊपर खुद घोटाले का आरोप लगा हो वह भला खुद के खिलाफ जाँच आयोग का गठन क्यों करेगा।

क्या इससे मोदी सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने की प्रतिबद्धता कमजोर नहीं होती है।

शाब्दिक त्रुटि के लिये मैं आप से अग्रिम माफ़ी मागता हूँ।

पढ़े और अपने कमेंट जरूर दे।

Tuesday, April 15, 2014

शादी का भांडा फोड़ने वाले पत्रकार दर्शन देसाई (तब इंडियन एक्सप्रेस में) ने 2002

जशोदाबेन के मुताबिक शादी के सारे फोटो मोदी ने फाड़ डाले थे, "क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि एक भी फोटो मेरे पास बचा रह जाय"। अर्थात मोदी ने शादी का कोई सबूत नहीं छोड़ा। सार्वजनिक तौर पर उन्होंने कभी पत्नी या शादी का जिक्र नहीं किया; विधानसभा के नामांकन पत्रों में चार बार वैवाहिक स्थिति का जवाब टाल गए। मोदी के जीवनीकार नीलांजन मुखोपाध्याय इसकी वजह यह मानते हैं कि मोदी आरएसएस के प्रचारक होकर देश के भ्रमण पर निकलना चाहते थे, लेकिन तब उत्तर प्रदेश को छोड़कर सभी प्रदेशों में प्रचारक बनने की यह अहम शर्त थी कि वे अविवाहित हों। मोदी ने संघ से एक बड़ा सच छुपाया, दूसरों शब्दों में पत्नी ही नहीं संघ को भी धोखे में रखा। माना जाता है कि कई साल बाद जब विवाह का भांडा फूट गया तब विवाहित प्रचारक होने की अप्रिय चर्चा से संघ को बचाने की गरज से मोदी को भाजपा में भेज दिया गया। 

शादी का भांडा फोड़ने वाले पत्रकार दर्शन देसाई (तब इंडियन एक्सप्रेस में) ने 2002 में जब जशोदाबेन को ढूंढ़ निकाला, वे रजोसाणा गांव में पढ़ा रही थीं। वे सौ रुपए महीने के किराए पर एक बगैर शौचालय वाले घर में बसर करती थीं। पति के मुख्यमंत्री बनने पर उन्होंने बड़े उत्साह से अपनी बदली अपने गांव में करवाने की अर्जी लगाई। मोदी की भरोसेमंद आनंदीबेन पटेल राज्य की शिक्षा मंत्री थीं। उन्होंने अर्जी खारिज कर दी। यह सब जानकारियां लेकर दर्शन देसाई जब गांधीनगर लौटे तो खुद मोदी ने उन्हें फोन कर कहा -- "तुम मेरे खिलाफ लिख रहे हो। तुम्हारे अखबार ने 'मोदी मीटर' (गुजरात दंगों पर स्तंभ) चला रखा है। मुझे पता है कि आज तुमने क्या किया। तुमने जो किया, उससे बात बहुत आगे खिंच गई है। इसलिए मुझे बताओ कि तुम्हारा एजेंडा (मकसद) क्या है?" देसाई के मुताबिक वे डरे तो नहीं, लेकिन कुछ नर्वस जरूर हो गए। उन्होंने जवाब दिया -- "मेरा कोई एजेंडा नहीं है। आप मेरे संपादक से बात कर सकते हैं।" तब मोदी ने फोन काटने से पहले यह कहा -- "ठीक है, सोच लेना।"

क्या मोदी का यह बर्ताव विवाह को लेकर उनकी छुपमछुपाई का अपराधबोध प्रकट नहीं करता?

Sunday, April 13, 2014

दुनिया के इतिहास में कब इतने सारे पूंजीपतियों ने एक आदमी के अभियान में इतना पैसा लगाया


ये गरीबों से कहते हैं गरीबी हटा देंगे ! कैसे ? दुनिया के इतिहास में कब इतने सारे पूंजीपतियों ने एक आदमी के अभियान में इतना पैसा लगाया है गरीबी हटाने के लिए ? जो पैसा लगाता है वो वसूल करना भी जानता है | इसकी वसूली देश से होगी | गरीबी हटानी होती तो हटा चुके होते गजरात से जहां PDS और पब्लिक हेल्थ सिस्टम की व्यवस्था बदतर हुई है, शिशु मृत्यु दर और मातृ मृत्यु दर आर्थिक समृद्धि के बावजूद अधिक है, दलित और आदिवासी बच्चों की शिक्षा की स्थिति राष्ट्रीय औसत तक भी नहीं !
 


ये युवाओं से कहते हैं सबको रोजगार देंगे ! The Week की कवर स्टोरी पढ़िए ! गुजरात में 5300 रूपये की नौकरी के लिए 8 लाख़ से ज्यादा युवकों ने apply किया | वहाँ 12 साल में नहीं हटी बेरोजगारी पर युवाओं का वोट चाहिए तो ख़्वाब उछाल देते हैं मंच से |

ये कहते हैं भ्रष्टाचार और वंशवाद हटायेंगे ! इन्होने चुन चुन कर देश भर के भ्रष्ट नेताओं को बटोरा है, परिवारवाद के आधार देशभर में तमाम उम्मीदवार दिए हैं, गुजरात में RTI आवदेन भरना UPSC (सिविल सर्विसेस) का exam पास करने से ज्यादा मुश्किल है ! – क्या वाकई मुकाबला करेंगे ये भ्रष्टाचार से, वंशवाद से?
बिहार पहला राज्य है जिसने भ्रष्टाचार के खिलाफ स्पेशल कोर्ट अधिनियम लागू किया, भ्रष्ट अधिकारियों की सम्पति ज़ब्त की, उसमें स्कूल खोले ! बिहार पहला राज्य है जहाँ टेलीफोन के माध्यम से RTI फ़ाईल करने का system बना, उस समय के RTI Activist श्री Arvind Kejriwal ने हमें दिया था सुझाव ! RTI सिस्टम के लिए बिहार को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है !

ये किसानों से कहते हैं समृद्धि देंगे – यदि गुजरात में किसान इतने समृद्ध हैं तो कपास की खेती में लाखों बाल मज़दूर क्यों काम कर रहे हैं ? बिहार में तो किसान विश्व रिकार्ड बना रहे हैं ! हमें मिला है राष्ट्रीय कृषि कर्मण पुरस्कार !

फिर भी आप नहीं फंसे तो कहेंगे 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' – जिनके मंत्री कहते हैं बिहारियों के चलते गुजरात में गरीबी बढ़ी है, जिनकी पूरी पार्टी बिहारियों को जलील करने वालों के आगे नतमस्तक हो, इनके नेता अनेक स्थानों पर जाकर प्रतिशोध की आग भड़का रहे हों यह कहकर कि बदला लेंगे, हर विवादित मुद्दे पर polarise कर रहे हों, ये बनायेंगे एक भारत? एकमात्र सांस्कृतिक एजेंडा हो राम मंदिर - ये बनायेंगे श्रेष्ठ भारत?

इस देश में बदलाव का shortcut नहीं है ! बदलाव तभी संभव है जब वोट पड़े ईमानदारी से काम करने वाले दल को, साफ़-सुथरे ढंग से चुनाव लड़ने वाले दल को, और प्रमाणित ideas पर विज़न देने वाले नेतृत्व को | जय बिहार, जय भारत !

इस पोस्ट के अंश बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतिश कुमार के फेसबुक वाल से लिया गया है।

Thursday, March 20, 2014

#‎Modi‬ को कोसने, गरियाने वालों की जमात बनती जा रही है ‪#‎BJP‬.

#‎Modi‬ को कोसने, गरियाने वालों की जमात बनती जा रही है ‪#‎BJP‬.

‪#‎SubmaniyamSwami‬ - इनकी वजह से ‪#‎NDA‬ अटल जी सरकार एक वोट से गिर गयी थी।
‪#‎RamVilasPaswan‬- मोदी पर 2002 में दंगे के आरोंपों के NDA से अलग हो गये थे।
‪#‎RamkripalYadav‬- मोदी एक वायरस है।
‪#‎GagdambikaPal‬- जिंदगी भर विपक्ष में बैठ कर मोदी और भाजपा को गरियrते रहे।
‪#‎RajuSrivastav‬- 56 इंच सीना वाले बयान पर मोदी को दैत्य बताया।

ये दिखाता है भारतीय जनता पार्टी सत्ता पाने के लिये किसी हद तक जा सकते है। सत्ता के लालच में ये दल #BJP को कभी भी लात मार सकते है।