सियासत और इनके रहनुमाओं ने कानून को नपुंसक बना दिया है!
हैदराबाद में कथित तौर पर कुछ दलित छात्रो को हॉस्टल से बाहर निकालने के बाद उनमें से एक छात्र रोहित वेमुला ने आत्महत्या कर ली। इस मामले में यूनिवर्सिटी के कुलपति और इस घटना में शामिल सांसद की जिम्मेदारी सुनिश्चित करने के बजाय छात्र के ऊपर गंभीर आरोप लगाये जा रहे हैं।
मसलन, छात्र ने बीफ पार्टी का आयोजन किया था। याकूब मेनन के फांसी का विरोध किया था और कैंपस में गुंडा-गर्दी करता था। मतलब बचाव का बेहद बेहूदा तरीका अपनाया जा रहा है।
अब सवाल यह उठता है कि अगर उस छात्र ने कुछ ऐसा काम किया जिससे किसी नियम कानून का उलंघन हुआ तो विश्वविद्यालय प्रशासन ने उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं की।
इस देश में अगर राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की हत्या करने वाले गोडसे की पूजा करने वाले हैं तो याकूब मेनन के फांसी का विरोध करने वाले भी हैं।
लेकिन बचाव का बेहद बेहूदा तरीका अपनाया जा रहा है।
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