आप
थोड़ा सा पीछे
जाइये और याद
करिए वह दौर
शेर हवाई जहाज
और मोदी मोदी
करती हुयी भीड़ और
मोदी मोदी करती हुई भीड़ के बीच वह उत्साह से भरी आवाज।
मसलन
सौगंध मुझे इस मिट्टी की मैं देश नहीं झुकने दूंगा मैं देश नहीं मिटने दूंगा।
आपने
कोई है भाई जिसको दिल्ली सरकारी नौकरी दी हो.
यह
काला धन वापस आना चाहिए.
कांग्रेस
भ्रष्टाचार की पहचान बन गई है.
भारत
को फिर से विश्वगुरु बनाना है.
यह
जवान और किसान कांग्रेस के शासन में सुरक्षित हैं क्या.
अद्भुत
चीज थी यह क्योंकि दागी राजनीतिक भ्रष्ट सिस्टम कांग्रेस युवा महिला किसान हर किसी
की गुस्से को जुबान देने वाला एक नेता मिल गया था. वह नेता गांव शहर गली मोहल्ला कस्बा
घूम घूम कर यही बता रहा था कि व्यवस्था चौपट हो चली है. तो जनादेश वाकई अद्भुत मिला.
हर नेता की पोटली खाली कर दी थी उसने मायावती का दलित दौरा खत्म हो गया कांग्रेस का
मुस्लिम तुष्टीकरण खत्म हो गया क्षेत्रीय पार्टियों की सियासत खत्म होने लगी जाति समीकरण
धराशाई हो गए और जब संसद के चौखट को छुआ तो लगा लोकतंत्र के मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा
हो गई. सब कुछ तो था हर सियासत नतमस्तक थी मौका ऐसा था कि वाकई देश को बचा जा सकता
है नीतियों को नए सिरे से मत कर लागू किया जा सकता था बाजार को नए तरीके से खड़ा किया
जा सकता था राष्ट्रीय पूजी को मौजूदा जरूरतों के हिसाब से खर्च किया जा सकता था गांव
में स्वराज की अवधारणा लागू करने की दिशा में पढ़ा जा सकता था और प्रधानमंत्री बनने
के बाद सेंट्रल हॉल में दिए गए पहले भाषण ने इस तरह की उम्मीदें को जगा दिया था.
फिर
नीरव मोदी फरार हुआ साथ में मेहुल चौकसी भी फरार हुआयाद कीजिए सेंट्रल हॉल के पहले
भाषण नरेंद्र मोदी के वाक्य "बेटा कभी भी मां पर कृपा नहीं कर सकता है वह समर्पित
भाव से सिर्फ सेवा कर सकता है".
और
वक्त के साथ नजारे बदलते गए मुंबई में नरेंद्र मोदी और देश के सबसे बड़े उद्योगपति
मुकेश अंबानी के साथ तस्वीर ने कई सवालों को जन्म दिया. और उसके बाद देश को 9000 करोड
रुपए का चूना लगा कर रही 11 ब्रीफकेस के साथ विजय माल्या दिन के उजाले में भाग और सियासत
देखते रही. फिर नीरव मोदी फरार
हुआ साथ में मेहुल चौकसी भी फरार हुआ. अब तक जानकारी के मुताबिक देश के 31 अरबपति देश
को चुना लगाकर भाग चुके हैं. तो हर डायलॉग बेअसर से लगा. आखिर क्या कहा था मोदी जी
ने लोकसभा चुनाव के समय भ्रष्टाचार के संबंध में “न खाऊंगा न खाने दूंगा भाई और बहनों
मुझे प्रधानमंत्री नहीं मुझे चौकीदार बनाकर भेजिए मैं देश के खजाने पर कोई भी पंजा
नहीं पड़ने दूंगा मुझे चौकीदार बना कर दीजिए”. तो क्या जोर शोर से जो बातें कही गई
थी वह देश के नागरिकों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ था क्योंकि ऐसा कोई मुद्दा था ही
नहीं जिसे 2014 में सत्ता पाने के लिए उठाया नहीं गया था और ऐसा कोई मुद्दा बचा ही
नहीं जिस पर जो कहा गया उस पर कोई असर हुआ.
यह
तथ्य उन तस्वीरों को लाते हैं जब यह लग रहा था कि देश में सब कुछ बदल रहा था लेकिन
अब उन पर नजर डालिए जो मौजूदा दौर में हैं. मुसलमानों को भारतीय जनता पार्टी वोट बैंक
नहीं मानती है लिहाजा उनके विकास या उनके पद से बीजेपी को कोई फर्क नहीं पड़ता है देश
में दलितों के साथ क्या हुआ यह सब ने देखा हैदराबाद से लेकर गुजरात तक दलित उत्पीड़न
की कहानियां सामने आई. विश्वविद्यालयों को हिंदुत्व और राष्ट्रवाद को प्रयोगशाला बना
दिया गया हर साल करोड़ों युवाओं को रोजगार देने का वादा किया गया था लेकिन रोजगार देने
की बात आई तो सलाह दी गई की पकौड़े या नौकरी के पीछे भागने की बजाय पान की दुकान लगाएं।
किसानों
की स्थिति किसी से छुपी नहीं है पिछले 4 वर्ष में ही लगभग 50000 किसानों ने आत्महत्या
कर लिया इन सब के बावजूद किसानों के उत्थान के लिए सरकार ने जोर-शोर से फसल बीमा योजना
शुरू किया लेकिन वह बीमा योजना किसानों को कम उद्योगपति को ज्यादा फायदा पहुंचाने लगी.
कृषि विशेषज्ञ पी. साईंनाथ कहा- मोदी सरकार की फसल बीमा योजना राफेल से बड़ा घोटाला
है. महाराष्ट्र का उदाहरण देते हुए साईंनाथ ने कहा, "2.80 लाख किसानों ने सोयाबीन
की खेती की. एक जिले में किसानों ने 19.2 करोड़ रुपये का भुगतान किया. राज्य सरकार
और केंद्र सरकार ने 77-77 करोड़ रुपये का भुगतान किया. कुल राशि 173 करोड़ रुपये हुई
जो रिलायंस बीमा को भुगतान किया गया". उन्होंने कहा, "पूरी फसल खराब हो गई
और बीमा कंपनी ने दावों का भुगतान किया. रिलायंस ने एक जिले में 30 करोड़ रुपये का
भुगतान किया और उसे शुद्ध लाभ 143 करोड़ रुपये हुआ, जबकि उसका निवेश एक भी रुपया नहीं
था".
सड़क
से किसानों की आवाज आई संसद से नेताओं की आवाज आई विश्वविद्यालयों से छात्रों की आवाज
आए देश के हर चौराहे नुक्कड़ से युवाओं की आवाज आएगी और न्यायपालिका की चौखट से माननीय
जजों की.
2014
से लेकर 2017 तक करीब 12700 बैंक फ्रॉड हो गए. जिससे गरीब देश को 17500 हजार करोड़
का चूना लगा. नोटबंदी के बाद पहले 4 महीने में करीब 1500000 लोगों की नौकरियां चली
गई. नोटबंदी के बाद पहले 4 महीने में करीब 1500000 लोगों की नौकरियां चली गई लोगों
बड़े शहरों से छोटे शहरों की तरफ से पलायन करने के मजबूर हो गए उनका रोजगार खत्म हो
गया और उनके सामने रोजी रोटी कमाने और परिवार का पेट भरने की चुनौती पैदा हो गयी. रिजर्व
बैंक ने कहा कि नोटबंदी के बाद 16000 करोड रूपया वापस आ गए लेकिन उससे 21000 करोड रुपए
के नए नोट छापे पड़े क्योंकि नोटबंदी के बाद 99 परसेंट नोट ओं बैंक में वापस आ गए.
इस बीच एक और जिसने जनता की कमर को तोड़ दिया था वह थी डीजल और पेट्रोल की बढ़ती हुई
कीमतें चुनाव के पहले कहा गया था ना कि शक्ल में की बहुत तो हुआ पेट्रोल-डीजल के महंगाई
की मार अबकी बार मोदी सरकार. और यह सब तब हुआ जब वह कच्चा तेल अपनी न्यूनतम स्तर पर
था. 2014 के बाद से ही हर बरस सरकार दिल पर लगे हुए टैक्स से करीब साढ़े लाख करोड़ करोड
रुपए कमाए. आखिर कहीं तो चूक हुई कुछ तो कमी आ रही यही वजह रही कि युवा नौकरी के लिए
सड़कों पर उतर आए. इस पर रोक लेबर ऑर्गेनाइजेशन ने आंकड़े जारी किए कि पिच 14 2014
से लेकर 2017 तक का गरीबो 8:30 लाख नौकरियां दी गई यानी बेरोजगारी दर ३.४१ प्रतिशत
से बढ़कर कर 6.23 % पर पहुंच गई. लेकिन रोजगार की दिशा में उचित कदम बढ़ाने के बजाय
प्रधानमंत्री से लेकर पार्टी अध्यक्ष खामोश रहे. बाद में संसद में पार्टी अध्यक्ष ने
कहा कि बेरोजगारी रहने से अच्छा है कि युवक को मजदूरी करके पेट पाले युवक पकौड़े बेचकर
पेट पाले.
साढ़े
चार बरस तक सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी रही विज्ञान भवन में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने
लोगों को संबोधित करते हुए कहा. और इसके बाद से संघ विश्व हिंदू परिषद बीजेपी साधु
संत समाज अचानक से जाग उठा और राम मंदिर बनाने के प्रति सरकार पर अध्यादेश लाने का
दबाव डालने लगा.
सभी
मुद्दों को लेकर क्या वास्तव में सरकार गंभीर है हमें यह सोच रहा होगा
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