चाट,पापडी, चटनी और खीर वाले बाबा- निर्मलजीत सिंह नरूला.
भारत एक ऐसा देश है जहाँ आप एक पालीथीन में एक ईट का टुकड़ा रख कर घूरना शुरू कर दीजिये वहां भीड़ जमा हो जायेगी या फिर सड़क से एक बड़े पत्थर को तिलक लगा कर अगरबत्ती सुलगा दीजिये वही आस्था का केंद्र बन जायेगा. लोगो के इस भोलेपन, पढ़े-लिखे अनपढ़ होना या फिर आवश्यकता से अधिक विश्वास करने की प्रवित्त का नाजायज़ फायदा उठा रहे है निर्मलजीत सिंह नरूला.
हमारे देश में पैसा कमाना बहुत आसान है बस आपके दिमाग में एक शातिर खुराफात होनी चाहिए और निर्मल उर्फ़ कथाकथित बाबा उसी खुराफात की देन है. धर्म हमेशा से ही हमरे देश की सबसे बड़ी कमजोरी रही है, धर्म की आड़ में ये व्यापार हो रहा है.धर्म के नाम पर लोगो को गुमराह किया जा रहा है. किसी चीज़ में आस्था ठीक होती है लकिन अन्धविश्वास नहीं. धर्म के नाम पर लोगो को बरगलाने की कोशिश की जा रही है.
सरकार के आखो के सामने जनता को मुर्ख बनाया जा रहा है. ये बाबा जो लोगो को चाट, पकौड़े, आचार और गुलाब जामुन खा कर कृपा बरसने की बात कर रहे क्या उसका कोई बैज्ञानिक, वैचारिक या अध्यात्मिक आधार है.
ऐसी भ्रम और अंधविश्व फ़ैलाने वाली मानसिकता को जल्द से जल्द बंद कर देना चाहिए.सभी लोगो इस प्रकार के घटिया मानसकिता बाले चीजो को बढावा नहीं देना चाहिए.
अवधेश कुमार मौर्या
awadhesh.1987@gmail.com
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