Tuesday, April 15, 2014

शादी का भांडा फोड़ने वाले पत्रकार दर्शन देसाई (तब इंडियन एक्सप्रेस में) ने 2002

जशोदाबेन के मुताबिक शादी के सारे फोटो मोदी ने फाड़ डाले थे, "क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि एक भी फोटो मेरे पास बचा रह जाय"। अर्थात मोदी ने शादी का कोई सबूत नहीं छोड़ा। सार्वजनिक तौर पर उन्होंने कभी पत्नी या शादी का जिक्र नहीं किया; विधानसभा के नामांकन पत्रों में चार बार वैवाहिक स्थिति का जवाब टाल गए। मोदी के जीवनीकार नीलांजन मुखोपाध्याय इसकी वजह यह मानते हैं कि मोदी आरएसएस के प्रचारक होकर देश के भ्रमण पर निकलना चाहते थे, लेकिन तब उत्तर प्रदेश को छोड़कर सभी प्रदेशों में प्रचारक बनने की यह अहम शर्त थी कि वे अविवाहित हों। मोदी ने संघ से एक बड़ा सच छुपाया, दूसरों शब्दों में पत्नी ही नहीं संघ को भी धोखे में रखा। माना जाता है कि कई साल बाद जब विवाह का भांडा फूट गया तब विवाहित प्रचारक होने की अप्रिय चर्चा से संघ को बचाने की गरज से मोदी को भाजपा में भेज दिया गया। 

शादी का भांडा फोड़ने वाले पत्रकार दर्शन देसाई (तब इंडियन एक्सप्रेस में) ने 2002 में जब जशोदाबेन को ढूंढ़ निकाला, वे रजोसाणा गांव में पढ़ा रही थीं। वे सौ रुपए महीने के किराए पर एक बगैर शौचालय वाले घर में बसर करती थीं। पति के मुख्यमंत्री बनने पर उन्होंने बड़े उत्साह से अपनी बदली अपने गांव में करवाने की अर्जी लगाई। मोदी की भरोसेमंद आनंदीबेन पटेल राज्य की शिक्षा मंत्री थीं। उन्होंने अर्जी खारिज कर दी। यह सब जानकारियां लेकर दर्शन देसाई जब गांधीनगर लौटे तो खुद मोदी ने उन्हें फोन कर कहा -- "तुम मेरे खिलाफ लिख रहे हो। तुम्हारे अखबार ने 'मोदी मीटर' (गुजरात दंगों पर स्तंभ) चला रखा है। मुझे पता है कि आज तुमने क्या किया। तुमने जो किया, उससे बात बहुत आगे खिंच गई है। इसलिए मुझे बताओ कि तुम्हारा एजेंडा (मकसद) क्या है?" देसाई के मुताबिक वे डरे तो नहीं, लेकिन कुछ नर्वस जरूर हो गए। उन्होंने जवाब दिया -- "मेरा कोई एजेंडा नहीं है। आप मेरे संपादक से बात कर सकते हैं।" तब मोदी ने फोन काटने से पहले यह कहा -- "ठीक है, सोच लेना।"

क्या मोदी का यह बर्ताव विवाह को लेकर उनकी छुपमछुपाई का अपराधबोध प्रकट नहीं करता?

Sunday, April 13, 2014

दुनिया के इतिहास में कब इतने सारे पूंजीपतियों ने एक आदमी के अभियान में इतना पैसा लगाया


ये गरीबों से कहते हैं गरीबी हटा देंगे ! कैसे ? दुनिया के इतिहास में कब इतने सारे पूंजीपतियों ने एक आदमी के अभियान में इतना पैसा लगाया है गरीबी हटाने के लिए ? जो पैसा लगाता है वो वसूल करना भी जानता है | इसकी वसूली देश से होगी | गरीबी हटानी होती तो हटा चुके होते गजरात से जहां PDS और पब्लिक हेल्थ सिस्टम की व्यवस्था बदतर हुई है, शिशु मृत्यु दर और मातृ मृत्यु दर आर्थिक समृद्धि के बावजूद अधिक है, दलित और आदिवासी बच्चों की शिक्षा की स्थिति राष्ट्रीय औसत तक भी नहीं !
 


ये युवाओं से कहते हैं सबको रोजगार देंगे ! The Week की कवर स्टोरी पढ़िए ! गुजरात में 5300 रूपये की नौकरी के लिए 8 लाख़ से ज्यादा युवकों ने apply किया | वहाँ 12 साल में नहीं हटी बेरोजगारी पर युवाओं का वोट चाहिए तो ख़्वाब उछाल देते हैं मंच से |

ये कहते हैं भ्रष्टाचार और वंशवाद हटायेंगे ! इन्होने चुन चुन कर देश भर के भ्रष्ट नेताओं को बटोरा है, परिवारवाद के आधार देशभर में तमाम उम्मीदवार दिए हैं, गुजरात में RTI आवदेन भरना UPSC (सिविल सर्विसेस) का exam पास करने से ज्यादा मुश्किल है ! – क्या वाकई मुकाबला करेंगे ये भ्रष्टाचार से, वंशवाद से?
बिहार पहला राज्य है जिसने भ्रष्टाचार के खिलाफ स्पेशल कोर्ट अधिनियम लागू किया, भ्रष्ट अधिकारियों की सम्पति ज़ब्त की, उसमें स्कूल खोले ! बिहार पहला राज्य है जहाँ टेलीफोन के माध्यम से RTI फ़ाईल करने का system बना, उस समय के RTI Activist श्री Arvind Kejriwal ने हमें दिया था सुझाव ! RTI सिस्टम के लिए बिहार को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है !

ये किसानों से कहते हैं समृद्धि देंगे – यदि गुजरात में किसान इतने समृद्ध हैं तो कपास की खेती में लाखों बाल मज़दूर क्यों काम कर रहे हैं ? बिहार में तो किसान विश्व रिकार्ड बना रहे हैं ! हमें मिला है राष्ट्रीय कृषि कर्मण पुरस्कार !

फिर भी आप नहीं फंसे तो कहेंगे 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' – जिनके मंत्री कहते हैं बिहारियों के चलते गुजरात में गरीबी बढ़ी है, जिनकी पूरी पार्टी बिहारियों को जलील करने वालों के आगे नतमस्तक हो, इनके नेता अनेक स्थानों पर जाकर प्रतिशोध की आग भड़का रहे हों यह कहकर कि बदला लेंगे, हर विवादित मुद्दे पर polarise कर रहे हों, ये बनायेंगे एक भारत? एकमात्र सांस्कृतिक एजेंडा हो राम मंदिर - ये बनायेंगे श्रेष्ठ भारत?

इस देश में बदलाव का shortcut नहीं है ! बदलाव तभी संभव है जब वोट पड़े ईमानदारी से काम करने वाले दल को, साफ़-सुथरे ढंग से चुनाव लड़ने वाले दल को, और प्रमाणित ideas पर विज़न देने वाले नेतृत्व को | जय बिहार, जय भारत !

इस पोस्ट के अंश बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतिश कुमार के फेसबुक वाल से लिया गया है।