Saturday, March 5, 2016

जेनयू के शोर शराबे में दब गई हरियाणा में घटित महिलाओ के जघन्य घटना!

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय परिसर में हुये कथित देशविरोधी कार्यक्रम और उससे उपजे विवाद की लपटों में "बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ" कार्यक्रम की शुरुआत करने वाला हरियाणा में जाट आंदोलन के दौरान हुयी हिंसा, हत्या, लूटपाट और महिलाओ के साथ अमानवीय, बलात्कार की घटना की खबर दब गई या फिर जानबूझकर दबा दी गई।

               आखिर इसकी वजह क्या है? हरियाणा की घटना को लेकर न तो आरएसएस की देशभक्ति या फिर राष्ट्रवाद की भावना को ठेस पहुची और न ही देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने इस सम्बन्ध में एक बयान देना भी उचित नहीं समझा उलटे उनके राज्य की पुलिस लगातार  इस बात से इंकार करती रही कि मुरथल में इस प्रकार की घटना भी हुई जबकि तत्कालीन परिस्थितियाँ चीख चीख कर इस बात की गवाही दे रही थी इस प्रकार के घटना को अंजाम दिया गया था।

                क्या यह माना जाय कि इसके पीछे आरएसएस या फिर मनोहर लाल खट्टर की स्त्री विरोधी सोच है या फिर इस घटना की सारी परते खुलने के बाद बीजेपी को देश में राजनितिक तौर पर नुकसान उठाना पड़ सकता था? क्या इस मामले की सच्चाई सामने आने के बाद जाहिर सी बात है जाट समुदाय के लोग फसते और मनोहर लाल खट्टर को उस जाट वोट बैंक को खोने का डर था जिसके उपर सवार होकर सत्ता की शिखर तक पहुचे थे? क्या इस मामले के खुलने के बाद बीजेपी को इस बात का डर था कि आगामी चुनावों में उसे सियासी तौर पर नुकसान हो सकता है?

               सबसे दिलचस्प और आश्चर्य की बात रही जहाँ भारत में विपक्षी पार्टियां इस प्रकार के घटना होने की बाँट जोहती रहती है लेकिन इस घटना के घटित होने के बाद भी कांग्रेस और उसके नेता चुप्पी का टेप मुँह पर चिपकाये रहे। क्या कांग्रेस भी कही न कही इस घटना प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इस घटना में शामिल रही है?

शायद यही वजह रही कि बीजेपी के निचले पायदान के नेता से लेकर शीर्ष तक सभी ने चुप्पी साधे रखी और जेनयू घटना को लेकर सुलगती आग में फूक मरते रहे।
जो भी हो लेकिन आरोपियों को न्याय के कटघरे में लाना सरकार की नैतिक जिम्मेदारी और कर्तव्य भी है।