Wednesday, November 14, 2018

साहेब हम भूले नहीं हैं…



आप थोड़ा सा पीछे जाइये और याद करिए वह दौर शेर हवाई जहाज और मोदी मोदी करती हुयी भीड़ और मोदी मोदी करती हुई भीड़ के बीच वह उत्साह से भरी आवाज।

मसलन सौगंध मुझे इस मिट्टी की मैं देश नहीं झुकने दूंगा मैं देश नहीं मिटने दूंगा।
आपने कोई है भाई जिसको दिल्ली सरकारी नौकरी दी हो.
यह काला धन वापस आना चाहिए.
कांग्रेस भ्रष्टाचार की पहचान बन गई है.
भारत को फिर से विश्वगुरु बनाना है.
यह जवान और किसान कांग्रेस के शासन में सुरक्षित हैं क्या.

अद्भुत चीज थी यह क्योंकि दागी राजनीतिक भ्रष्ट सिस्टम कांग्रेस युवा महिला किसान हर किसी की गुस्से को जुबान देने वाला एक नेता मिल गया था. वह नेता गांव शहर गली मोहल्ला कस्बा घूम घूम कर यही बता रहा था कि व्यवस्था चौपट हो चली है. तो जनादेश वाकई अद्भुत मिला. हर नेता की पोटली खाली कर दी थी उसने मायावती का दलित दौरा खत्म हो गया कांग्रेस का मुस्लिम तुष्टीकरण खत्म हो गया क्षेत्रीय पार्टियों की सियासत खत्म होने लगी जाति समीकरण धराशाई हो गए और जब संसद के चौखट को छुआ तो लगा लोकतंत्र के मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा हो गई. सब कुछ तो था हर सियासत नतमस्तक थी मौका ऐसा था कि वाकई देश को बचा जा सकता है नीतियों को नए सिरे से मत कर लागू किया जा सकता था बाजार को नए तरीके से खड़ा किया जा सकता था राष्ट्रीय पूजी को मौजूदा जरूरतों के हिसाब से खर्च किया जा सकता था गांव में स्वराज की अवधारणा लागू करने की दिशा में पढ़ा जा सकता था और प्रधानमंत्री बनने के बाद सेंट्रल हॉल में दिए गए पहले भाषण ने इस तरह की उम्मीदें को जगा दिया था.

फिर नीरव मोदी फरार हुआ साथ में मेहुल चौकसी भी फरार हुआयाद कीजिए सेंट्रल हॉल के पहले भाषण नरेंद्र मोदी के वाक्य "बेटा कभी भी मां पर कृपा नहीं कर सकता है वह समर्पित भाव से सिर्फ सेवा कर सकता है".

और वक्त के साथ नजारे बदलते गए मुंबई में नरेंद्र मोदी और देश के सबसे बड़े उद्योगपति मुकेश अंबानी के साथ तस्वीर ने कई सवालों को जन्म दिया. और उसके बाद देश को 9000 करोड रुपए का चूना लगा कर रही 11 ब्रीफकेस के साथ विजय माल्या दिन के उजाले में भाग और सियासत देखते रही. फिर नीरव मोदी फरार हुआ साथ में मेहुल चौकसी भी फरार हुआ. अब तक जानकारी के मुताबिक देश के 31 अरबपति देश को चुना लगाकर भाग चुके हैं. तो हर डायलॉग बेअसर से लगा. आखिर क्या कहा था मोदी जी ने लोकसभा चुनाव के समय भ्रष्टाचार के संबंध में “न खाऊंगा न खाने दूंगा भाई और बहनों मुझे प्रधानमंत्री नहीं मुझे चौकीदार बनाकर भेजिए मैं देश के खजाने पर कोई भी पंजा नहीं पड़ने दूंगा मुझे चौकीदार बना कर दीजिए”. तो क्या जोर शोर से जो बातें कही गई थी वह देश के नागरिकों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ था क्योंकि ऐसा कोई मुद्दा था ही नहीं जिसे 2014 में सत्ता पाने के लिए उठाया नहीं गया था और ऐसा कोई मुद्दा बचा ही नहीं जिस पर जो कहा गया उस पर कोई असर हुआ.

यह तथ्य उन तस्वीरों को लाते हैं जब यह लग रहा था कि देश में सब कुछ बदल रहा था लेकिन अब उन पर नजर डालिए जो मौजूदा दौर में हैं. मुसलमानों को भारतीय जनता पार्टी वोट बैंक नहीं मानती है लिहाजा उनके विकास या उनके पद से बीजेपी को कोई फर्क नहीं पड़ता है देश में दलितों के साथ क्या हुआ यह सब ने देखा हैदराबाद से लेकर गुजरात तक दलित उत्पीड़न की कहानियां सामने आई. विश्वविद्यालयों को हिंदुत्व और राष्ट्रवाद को प्रयोगशाला बना दिया गया हर साल करोड़ों युवाओं को रोजगार देने का वादा किया गया था लेकिन रोजगार देने की बात आई तो सलाह दी गई की पकौड़े या नौकरी के पीछे भागने की बजाय पान की दुकान लगाएं।

किसानों की स्थिति किसी से छुपी नहीं है पिछले 4 वर्ष में ही लगभग 50000 किसानों ने आत्महत्या कर लिया इन सब के बावजूद किसानों के उत्थान के लिए सरकार ने जोर-शोर से फसल बीमा योजना शुरू किया लेकिन वह बीमा योजना किसानों को कम उद्योगपति को ज्यादा फायदा पहुंचाने लगी. कृषि विशेषज्ञ पी. साईंनाथ कहा- मोदी सरकार की फसल बीमा योजना राफेल से बड़ा घोटाला है. महाराष्ट्र का उदाहरण देते हुए साईंनाथ ने कहा, "2.80 लाख किसानों ने सोयाबीन की खेती की. एक जिले में किसानों ने 19.2 करोड़ रुपये का भुगतान किया. राज्य सरकार और केंद्र सरकार ने 77-77 करोड़ रुपये का भुगतान किया. कुल राशि 173 करोड़ रुपये हुई जो रिलायंस बीमा को भुगतान किया गया". उन्होंने कहा, "पूरी फसल खराब हो गई और बीमा कंपनी ने दावों का भुगतान किया. रिलायंस ने एक जिले में 30 करोड़ रुपये का भुगतान किया और उसे शुद्ध लाभ 143 करोड़ रुपये हुआ, जबकि उसका निवेश एक भी रुपया नहीं था".

सड़क से किसानों की आवाज आई संसद से नेताओं की आवाज आई विश्वविद्यालयों से छात्रों की आवाज आए देश के हर चौराहे नुक्कड़ से युवाओं की आवाज आएगी और न्यायपालिका की चौखट से माननीय जजों की.

2014 से लेकर 2017 तक करीब 12700 बैंक फ्रॉड हो गए. जिससे गरीब देश को 17500 हजार करोड़ का चूना लगा. नोटबंदी के बाद पहले 4 महीने में करीब 1500000 लोगों की नौकरियां चली गई. नोटबंदी के बाद पहले 4 महीने में करीब 1500000 लोगों की नौकरियां चली गई लोगों बड़े शहरों से छोटे शहरों की तरफ से पलायन करने के मजबूर हो गए उनका रोजगार खत्म हो गया और उनके सामने रोजी रोटी कमाने और परिवार का पेट भरने की चुनौती पैदा हो गयी. रिजर्व बैंक ने कहा कि नोटबंदी के बाद 16000 करोड रूपया वापस आ गए लेकिन उससे 21000 करोड रुपए के नए नोट छापे पड़े क्योंकि नोटबंदी के बाद 99 परसेंट नोट ओं बैंक में वापस आ गए. इस बीच एक और जिसने जनता की कमर को तोड़ दिया था वह थी डीजल और पेट्रोल की बढ़ती हुई कीमतें चुनाव के पहले कहा गया था ना कि शक्ल में की बहुत तो हुआ पेट्रोल-डीजल के महंगाई की मार अबकी बार मोदी सरकार. और यह सब तब हुआ जब वह कच्चा तेल अपनी न्यूनतम स्तर पर था. 2014 के बाद से ही हर बरस सरकार दिल पर लगे हुए टैक्स से करीब साढ़े लाख करोड़ करोड रुपए कमाए. आखिर कहीं तो चूक हुई कुछ तो कमी आ रही यही वजह रही कि युवा नौकरी के लिए सड़कों पर उतर आए. इस पर रोक लेबर ऑर्गेनाइजेशन ने आंकड़े जारी किए कि पिच 14 2014 से लेकर 2017 तक का गरीबो 8:30 लाख नौकरियां दी गई यानी बेरोजगारी दर ३.४१ प्रतिशत से बढ़कर कर 6.23 % पर पहुंच गई. लेकिन रोजगार की दिशा में उचित कदम बढ़ाने के बजाय प्रधानमंत्री से लेकर पार्टी अध्यक्ष खामोश रहे. बाद में संसद में पार्टी अध्यक्ष ने कहा कि बेरोजगारी रहने से अच्छा है कि युवक को मजदूरी करके पेट पाले युवक पकौड़े बेचकर पेट पाले.

साढ़े चार बरस तक सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी रही विज्ञान भवन में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा. और इसके बाद से संघ विश्व हिंदू परिषद बीजेपी साधु संत समाज अचानक से जाग उठा और राम मंदिर बनाने के प्रति सरकार पर अध्यादेश लाने का दबाव डालने लगा.

सभी मुद्दों को लेकर क्या वास्तव में सरकार गंभीर है हमें यह सोच रहा होगा

Tuesday, November 13, 2018

भारत में फेक न्यूज़ और उसका असर

भारत में फेक न्यूज़ और उसका असर

भारत में फेक न्यूज़ एक बड़ी समस्या बन गई है. आए दिन सोशल मीडिया पर तथ्यों की जांच-पड़ताल किए बिना राष्ट्रवाद, धर्म और आस्था के नाम पर लोग फेक न्यूज़ को शेयर कर रहे हैं.
कुछ दिन पहले राजस्थान में भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह ने कार्यकर्ताओं से बात करते हुए कहां था "उनके कार्यकर्ता ने एक न्यूज़ को शेयर किया था वह खबर सही नहीं थी लेकिन देखते ही देखते सोशल मीडिया पर वायरल हो गई और जमीन पर उसका बहुत बड़ा असर हुआ. तो क्या इसके यह मायने निकाला जाए कि फेक न्यूज़ एक एजेंडा के तहत शेयर किया जा रहा है.
आजादी के 70 साल बाद भी देश में तमाम समस्याएं हैं। मसलन बेरोजगारी, भुखमरी, गरीबी, किसान आत्महत्या, प्रदूषण, जनसंख्या, शिक्षा और स्वास्थ्य। लेकिन फिर भी इन समस्याओं पर बात करने के बजाय लोग 70 साल पहले जाकर यह क्यों जाना चाहते हैं कि नेहरू का धर्म क्या था उनका नाम क्या वाकई में जवाहरलाल नेहरू था या मोइन खान.
बीबीसी से बात करते हुए एक्ट्रेस स्वरा भास्कर कहते हैं ''आज जो बात अलग है, वो ये है कि जिस तरह की फ़ेक न्यूज़ की हम बात कर रहे हैं, वो संगठित और प्रायोजित है और इसमें एक एजेंडा छिपा हुआ है" .
अभिनेता प्रकाश राज ने कहा है कि फ़ेक न्यूज़ बहुत पहले से हो रही है, लेकिन अब ये काम संगठित तौर पर हो रहा है और इससे समाज को नुकसान होगा.
सामाजिक और राजनीतिक मुद्दे पर बेबाक राय रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने कहा" असली ख़बरों के बजाए आप कुछ और पढ़ रहे हैं. क़ाबिल पत्रकारों के हाथ बांध दिए गए हैं. अगर क़ाबिल पत्रकारों का साथ दिया गया तो वो ही इस लोकतंत्र को बदल देंगे. लेकिन भारत का मीडिया, बहुत होश-हवास में, सोच समझकर भारत के लोकतंत्र को बर्बाद कर रहा है. अख़बारों के संपादक, मालिक इस लोकतंत्र को बर्बाद करने में लगे हुए हैं. समझिए किस तरह से हिंदू-मुस्लिम नफ़रत की बातें हो रही हैं."
हलिया वर्षों में भारत में फेक न्यूज़ के आधार पर हिंसा में काफी इजाफा हुआ है दो घटनाएं अहम् है एक राजस्थान की और दूसरी उत्तर प्रदेश की. राजस्थान में अल्पसंख्यक वर्ग के एक शख्स को इस बिना पर मार दिया जाता है कि वह गाय की तस्करी कर रहा था और वही उत्तर प्रदेश में एक अल्पसंख्यक वर्ग के व्यक्ति को शक के आधार पर मार दिया जाता है कि उसने अपने फ्रिज में रखा हुआ था.
इन दोनों घटनाओं में एक बात समान थी वह सोशल मीडिया पर फेक न्यूज के आधार पर जानलेवा भीड़ का इकट्ठा होना.
ऐसा नहीं है फेक न्यूज़ के आधार पर इकट्ठी हुयी भीड़ का शिकार सिर्फ अल्पसंख्यक समुदाय के लोग बने. महाराष्ट्र में सोशल मीडिया पर बच्चा चोरी होने की अफवाह फैली इसके बाद कई घटनाएं हुई जहां पर कुछ लोगों की सिर्फ इस वजह से हत्या कर दी गई कि वह बच्चों से बात कर रहे थे और वह हिंदू समुदाय के थे.
वर्तमान में सोशल मीडिया पर फैलाए के झूठ और अफवाह से पटना सरकार के लिए चुनौती बनता जा रहा है. वर्तमान में देश में कहीं भी सांप्रदायिक हिंसा होती है तो सरकार इंटरनेट पर प्रतिबंध लगा देती है ताकि सोशल मीडिया पर कोई भी सोशल मीडिया इस बात की है कि किसी भी खबर को शेयर करने से पहले उसके तथ्यों को जांच परख लिया जाए