Wednesday, November 12, 2008

जन प्रसार भरती का औचित्य

१२ नवम्बर वो दिन जब महात्मा गाँधी जी ने सार्नाथियों को संबोधित किया था इसी मौके पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया। या यूं कहें की सरकारी मीडिया और प्राइवेट मीडिया की कार्यशैली पर सवाल खड़ा किए गए। यानि हर तरह से प्राइवेट मीडिया की आलोचना । लेकिन आज के परिभाषा के अननुसार देखे तो न्यूज़ क्या है .ख़बर वह है जो असमान्य हो । लेकिन आज जो कुछ हो रहा है वह सभी सामान्य है तो मीडिया उसे क्यों कवर करे
आज पुरा समाज संवेदनहीन हो गया है । और जाहिर है मीडियाकर्मी उससे अलग नही । आख़िर हमारी जिम्मेदारी किसके प्रति ?समाज के प्रति या फिर समय के ?

Tuesday, November 11, 2008

क्या डोल रहा है सिंहासन?

विश्व क्रिकेट पर किसका वर्चस्व है. ऑस्ट्रेलिया का, भारत का या फिर किसी और देश का. आजकल ये बहस ख़ूब गर्म है और इसे और हवा दे रहे हैं भारत, ऑस्ट्रेलिया और श्रीलंका के क्रिकेटर.जहाँ सहवाग ने कह दिया कि ऑस्ट्रेलिया की टीम भारत से डरती है तो श्रीलंका के कप्तान महेला जयवर्धने ने कहा कि विश्व क्रिकेट में अब ऑस्ट्रेलिया का वर्चस्व नहीं रहा. लेकिन ऑस्ट्रेलिया के स्टुअर्ट क्लार्क कहते हैं कि अभी भी ऑस्ट्रेलिया की टीम ही सर्वश्रेष्ठ है.ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गई भारतीय टीम ने टेस्ट मैचों में तो विश्व चैम्पियन के नाक में दम किया ही, वनडे मैचों में भी वो ऑस्ट्रेलिया को कड़ी टक्कर दे रही है. वैसे ऑस्ट्रेलिया की टीम कई अहम खिलाड़ियों के संन्यास लेने के बाद उनकी जगह भरने की कोशिश में है और ये उनके लिए आसान नहीं.आपको क्या लगता है? क्या वाक़ई ऑस्ट्रेलिया का सिंहासन डोल रहा है या एक-दो मैचों में हार-जीत का ये अर्थ निकालना उचित नहीं. क्या भारतीय टीम ही विश्व चैम्पियन को चुनौती देने में सबसे आगे है या उसका दावा खोखला है.

दूषित होती भारतीय राजनिति

राजनेताओ को जनता का प्रतिनिधि माना जाता है जनता उन्हें इसलिए चुनती है कि वे हमारे समाज की पिछडेपन और समस्याओं को दूर करें लेकिनयह सोच कर कितना दुःख होता है की आज का हमारा राजनातिक सम्प्रदाय कितना दूषित होता जा रा है चुनाव का टिकट उनके कम के आधार पर दिया जाता था लकिन आज टिकट देने का नजरिया बदल गया है.....आज टिकट बहुबलों को दिया जा रहा है। पासों के बल पर ख़रीदा जा रहा है लेकिन इसका दोषी कौन हमारी राजनितिक व्यवस्था , हमारे नेता या फिर हम ख़ुद जिम्मेदार है....
जरा सोचिये॥ आख़िर आप क्या सोचते है......
अवधेश कुमार "सर्वजीत" न्यू डेल्ही....



















































































Sunday, November 9, 2008

'चरमपंथियों का कोई मज़हब नहीं होता'


इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि पिछले आठ-नौ महीने के दौरान भारतीय मुसलमानों की तरफ़ से चरमपंथी गतिविधियों के ख़िलाफ़ कई बड़े सम्मेलन आयोजित किए लेकिन इसके बाद भी चरमपंथी घटनाएँ कम नहीं हुईं हैं.
ग़ौर करनेवाली बात ये है कि चरमपंथ के ख़िलाफ़ होने वाले इन सम्मेलनों में हिंदू और दूसरे मज़हब के धार्मिक नेता भी शरीक होते रहे हैं. लेकिन चरमपंथ की आग फैल ही रही है.
आख़िर इसकी वजह क्या हैं और कहीं ऐसा तो नहीं कि धार्मिक नेता अपना असर खो चुके हैं.

राष्ट्र ने बापू को श्रद्धांजलि दी

बापू के 137 वें जन्मदिन पर राष्ट्र ने उन्हें याद किया
पूरे भारत में सोमवार को राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को उनके जन्म दिवस पर श्रद्धांजलि अर्पित की गई.
राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने राजघाट जाकर बापू की समाधि पर फूल माला अर्पित किए.
उन्होंने लाल बहादुर शास्त्री को भी उनके समाधि स्थल विजय घाट पर जाकर श्रद्धांजलि दी.
गाँधी जयंती के अवसर पर राजघाट पर अंतर धार्मिक सभा आयोजित की गई.
इस अवसर पर बापू की विचारधारा के अनुरुप वहाँ लगातार 24 घंटे का चरखा कताई कार्यक्रम आयोजित किया गया है.
राष्ट्रपति के अलावा उपराष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत, यूपीए चेयरमैन सोनिया गांधी, विपक्ष के नेता लालकृष्ण आडवाणी और गृह मंत्री शिवराज पाटिल समेत अन्य नेताओं ने बापू और शास्त्री को श्रद्धांजलि दी.
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अभी दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर हैं, जहाँ महात्मा गाँधी ने सत्याग्रह का पहला प्रयोग किया था और इसके सौ साल पूरे होने पर वहाँ कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं.
इस बार गाँधी जयंती से पहले बॉलीवुड फ़िल्म 'लगे रहो मुन्ना भाई' ने गाँधी के आदर्शों पर नई बहस शुरु की है.
फ़िल्म में मुख्य भूमिका निभाने वाले संजय दत्त ने गाँधी जयंती के अवसर पर मुंबई में पदयात्रा की.