Tuesday, January 20, 2009

जिस राष्ट्र में मीडिया गुलाम हो, वहां स्वस्थ लोकतंत्र मुमकीन नही है? लेकिन मुंबई हमले के बाद कुछ चैनलों ने अतिउत्साह में कमांडो कार्रवाई, होटल में मौजूद महत्वपूर्ण व्यक्तियों सहित कई ऐसे कवरेज प्रसारित किये, जिससे आतंकियों को मदद मिली। लेकिन यह तो पुरी तरह से मीडिया के स्वंत्रता का नाजायज़ फायदा लगा । मीडिया को भी अपनी समय सीमा तय कर लेनी चाहिए । है, ना?

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