Tuesday, November 13, 2018

भारत में फेक न्यूज़ और उसका असर

भारत में फेक न्यूज़ और उसका असर

भारत में फेक न्यूज़ एक बड़ी समस्या बन गई है. आए दिन सोशल मीडिया पर तथ्यों की जांच-पड़ताल किए बिना राष्ट्रवाद, धर्म और आस्था के नाम पर लोग फेक न्यूज़ को शेयर कर रहे हैं.
कुछ दिन पहले राजस्थान में भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह ने कार्यकर्ताओं से बात करते हुए कहां था "उनके कार्यकर्ता ने एक न्यूज़ को शेयर किया था वह खबर सही नहीं थी लेकिन देखते ही देखते सोशल मीडिया पर वायरल हो गई और जमीन पर उसका बहुत बड़ा असर हुआ. तो क्या इसके यह मायने निकाला जाए कि फेक न्यूज़ एक एजेंडा के तहत शेयर किया जा रहा है.
आजादी के 70 साल बाद भी देश में तमाम समस्याएं हैं। मसलन बेरोजगारी, भुखमरी, गरीबी, किसान आत्महत्या, प्रदूषण, जनसंख्या, शिक्षा और स्वास्थ्य। लेकिन फिर भी इन समस्याओं पर बात करने के बजाय लोग 70 साल पहले जाकर यह क्यों जाना चाहते हैं कि नेहरू का धर्म क्या था उनका नाम क्या वाकई में जवाहरलाल नेहरू था या मोइन खान.
बीबीसी से बात करते हुए एक्ट्रेस स्वरा भास्कर कहते हैं ''आज जो बात अलग है, वो ये है कि जिस तरह की फ़ेक न्यूज़ की हम बात कर रहे हैं, वो संगठित और प्रायोजित है और इसमें एक एजेंडा छिपा हुआ है" .
अभिनेता प्रकाश राज ने कहा है कि फ़ेक न्यूज़ बहुत पहले से हो रही है, लेकिन अब ये काम संगठित तौर पर हो रहा है और इससे समाज को नुकसान होगा.
सामाजिक और राजनीतिक मुद्दे पर बेबाक राय रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने कहा" असली ख़बरों के बजाए आप कुछ और पढ़ रहे हैं. क़ाबिल पत्रकारों के हाथ बांध दिए गए हैं. अगर क़ाबिल पत्रकारों का साथ दिया गया तो वो ही इस लोकतंत्र को बदल देंगे. लेकिन भारत का मीडिया, बहुत होश-हवास में, सोच समझकर भारत के लोकतंत्र को बर्बाद कर रहा है. अख़बारों के संपादक, मालिक इस लोकतंत्र को बर्बाद करने में लगे हुए हैं. समझिए किस तरह से हिंदू-मुस्लिम नफ़रत की बातें हो रही हैं."
हलिया वर्षों में भारत में फेक न्यूज़ के आधार पर हिंसा में काफी इजाफा हुआ है दो घटनाएं अहम् है एक राजस्थान की और दूसरी उत्तर प्रदेश की. राजस्थान में अल्पसंख्यक वर्ग के एक शख्स को इस बिना पर मार दिया जाता है कि वह गाय की तस्करी कर रहा था और वही उत्तर प्रदेश में एक अल्पसंख्यक वर्ग के व्यक्ति को शक के आधार पर मार दिया जाता है कि उसने अपने फ्रिज में रखा हुआ था.
इन दोनों घटनाओं में एक बात समान थी वह सोशल मीडिया पर फेक न्यूज के आधार पर जानलेवा भीड़ का इकट्ठा होना.
ऐसा नहीं है फेक न्यूज़ के आधार पर इकट्ठी हुयी भीड़ का शिकार सिर्फ अल्पसंख्यक समुदाय के लोग बने. महाराष्ट्र में सोशल मीडिया पर बच्चा चोरी होने की अफवाह फैली इसके बाद कई घटनाएं हुई जहां पर कुछ लोगों की सिर्फ इस वजह से हत्या कर दी गई कि वह बच्चों से बात कर रहे थे और वह हिंदू समुदाय के थे.
वर्तमान में सोशल मीडिया पर फैलाए के झूठ और अफवाह से पटना सरकार के लिए चुनौती बनता जा रहा है. वर्तमान में देश में कहीं भी सांप्रदायिक हिंसा होती है तो सरकार इंटरनेट पर प्रतिबंध लगा देती है ताकि सोशल मीडिया पर कोई भी सोशल मीडिया इस बात की है कि किसी भी खबर को शेयर करने से पहले उसके तथ्यों को जांच परख लिया जाए

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