Tuesday, March 4, 2014

अण्णा- गांधी से गन्ना तक

अन्ना-गन्ना: क्या टिप्पणी लिखी है मित्रवर रवीश कुमार ने! नीचे उनके ब्लॉग से पूरी चिपका रहा हूँ, पढ़िए …

अण्णा- गांधी से गन्ना तक / रवीश कुमार
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आदरणीय अण्णा,

मैं कल्पना करना चाहता हूँ पर कर नहीं पा रहा हूँ । यही कि मोहन दास करमचंद गांधी किसी पार्टी का विज्ञापन कर रहे हैं । कैमरे के सामने टेक रीटेक दे रहे हैं । आप गांधी के बाद लगभग गांधी बनने वाले शख़्स तो बन ही गए थे । मीडिया हमने सबने आपमें गांधी देखा था । आपको भी लगा कि गांधी की तरह आश्रम में रहना चाहिए । आपने राजनीति से दूरी बनाये रखने के असंख्य बयान दिये । कहा कि राजनीति में नहीं जायेंगे । आपके आस पास ऐसे लोग जमा हुए जिन पर आपने यक़ीन किया कि ये भी राजनीति में नहीं जायेंगे । आप राजनीति की तरफ़ गए अरविंद से दूरी बनाते रहे और छकाते रहे । गांधी की हैसियत से सर्टिफ़िकेट जारी करते रहे ।

आज वी के सिंह बीजेपी में जा चुके हैं । किरण बेदी रोज़ मोदी का प्रचार करती हैं । आपके बाक़ी सदस्य क्या कर रहे हैं पता नहीं लेकिन आप तृणमूल कांग्रेस का प्रचार कर रहे हैं । आपको कौन मैनेज कर सकता है । यह ज़रूर है कि आपको मैनेज करने वालों को कोई और मैनेज कर रहा था । आपने वी के सिंह और किरण बेदी को कभी ख़त लिखकर सवाल नहीं पूछा । जनलोकपाल के बदले रूप को जब कांग्रेस बीजेपी अपनी विश्वसनीयता का हथियार बनाने के लिए पास कर रही थीं तब आपके साथ किरण बेदी थीं । आज उसी लोकपाल के लिए बनी सर्च कमेटी को लेकर विवाद हो रहा है । जो आपको नहीं दिखा कि सर्च कमेटी का क्या मतलब है जब सलेक्शन कमेटी मानने को बाध्य नहीं । इसी बिन्दु पर जस्टिस थामस ने सर्च कमेटी के प्रमुख का पद छोड़ दिया । उनका सवाल सर्च कमेटी की प्रासंगिकता को लेकर था मगर बीजेपी ने इसे सरकार की नाकामी बता दी । बीजेपी ने थामस के सवालों का जवाब नहीं दिया । उन्होंने सर्च कमेटी की क्षमता के प्रति अविश्वास व्यक्त किया जिसे कांग्रेस बीजेपी ने मिलकर पास किया था । सरकार और विपक्ष दोनों का गुमान है कि सच वही बोलते हैं ।

आप भी इस विवाद से दूर हैं । चुप हैं । आप अब अण्णा नहीं रहे । बारी बारी से कांग्रेस बीजेपी के काम आने के बाद ममता के कार्यकर्ता बन गए हैं । आपने ख़ुद मैं ही अण्णा तू भी अण्णा के नारे को ख़त्म कर दिया । आप मैं ही अण्णा मैं ही अण्णा जपने लगे हैं । आने वाले दिलों में आप अजित सिंह की पार्टी रालोद या चौटाला की पार्टी इनेलो के लिए भी प्रचार करते नज़र आयेंगे ।

अण्णा आपने गांधी को निराश किया है । आपने जेपी को निराश किया है । उनलोगों को सही साबित किया है जो आपके अनशनों और भाषणों के वक्त हँसा करते थे । आप किस प्रोजेक्ट के तहत तृणमूल के लिए प्रचार कर रहे हैं । आम आदमी पार्टी के आधार में कंफ्यूजन फैलाने का नया मंच है या दिल्ली में प्रचार कर तृणमूल को लिए कुछ वोट बटोरने का प्रयास कर रहे हैं ताकि उसे राष्ट्रीय पार्टी बनने के लिए पर्याप्त वोट मिल जाये या आप ममता के बहाने आप का वोट काट कर मोदी का भला कर रहे हैं । जैसे आप पर आरोप लगता है कि यह बीजेपी को हराने का कांग्रेस का प्रोजेक्ट है वैसे ही कहीं आप आप को हराने के लिए बीजेपी का प्रोजेक्ट तो नहीं ।

वैसे अण्णा आप गांधी से गन्ना बन चुके हैं । सब चूस रहे हैं आपको । चूस चुके हैं । आपको एक सुझाव देता हूँ । आप एक आत्मकथा लिखिये जिसमें सच बोलने का प्रयास कीजिये कि आप कैसे कैसे मैनेज होते रहे । उसका नाम रखिये- गांधी से गन्ना तक । कोई अचानक ब्लागर बनकर मैनेज करता है तो कोई सीडी रिकार्ड करता है । आपने अपना सबसे अचूक हथियार गँवा दिया है। नैतिकता का अधिकार । आपकी टोपी पर सब अपना नाम लिख चुके हैं । किसी रैली में ममता आपकी टोपी उतारकर अपनी टोपी पहना देंगी जिस पर लिखा होगा मैं भी ममता तू भी ममता । टीवी पर आप जिस ममता को अपना आशीर्वाद दे रहे हैं आप चाहें तो वी के सिंह को भी दे सकते हैं । वे बीजेपी में ही गए हैं । आपके हिसाब से तो अच्छे उम्मीदवार है हीं । बाकी त जो है सो हइये है ।

भवदीय,

रवीश कुमार एंकर

http://naisadak.blogspot.in/2014/03/blog-post_4637.html

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